From 51a2830ae50d4eb0b3a3a0bc8a79f1acd8c125f7 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: dohliam Date: Thu, 30 Aug 2018 18:11:17 -0700 Subject: [PATCH] latest version of stories --- ...71\340\244\276\340\244\250\340\245\200.md" | 44 +++++++++++++++++++ 1 file changed, 44 insertions(+) create mode 100644 "hi/0110_\340\244\217\340\244\225-\340\244\233\340\245\213\340\244\237\340\244\276-\340\244\254\340\245\200\340\244\234-\340\244\265\340\244\250\340\244\227\340\244\276\340\244\260\340\245\200-\340\244\256\340\244\276\340\244\245\340\244\276\340\244\210-\340\244\225\340\245\200-\340\244\225\340\244\271\340\244\276\340\244\250\340\245\200.md" diff --git "a/hi/0110_\340\244\217\340\244\225-\340\244\233\340\245\213\340\244\237\340\244\276-\340\244\254\340\245\200\340\244\234-\340\244\265\340\244\250\340\244\227\340\244\276\340\244\260\340\245\200-\340\244\256\340\244\276\340\244\245\340\244\276\340\244\210-\340\244\225\340\245\200-\340\244\225\340\244\271\340\244\276\340\244\250\340\245\200.md" "b/hi/0110_\340\244\217\340\244\225-\340\244\233\340\245\213\340\244\237\340\244\276-\340\244\254\340\245\200\340\244\234-\340\244\265\340\244\250\340\244\227\340\244\276\340\244\260\340\245\200-\340\244\256\340\244\276\340\244\245\340\244\276\340\244\210-\340\244\225\340\245\200-\340\244\225\340\244\271\340\244\276\340\244\250\340\245\200.md" new file mode 100644 index 0000000..bcf033e --- /dev/null +++ "b/hi/0110_\340\244\217\340\244\225-\340\244\233\340\245\213\340\244\237\340\244\276-\340\244\254\340\245\200\340\244\234-\340\244\265\340\244\250\340\244\227\340\244\276\340\244\260\340\245\200-\340\244\256\340\244\276\340\244\245\340\244\276\340\244\210-\340\244\225\340\245\200-\340\244\225\340\244\271\340\244\276\340\244\250\340\245\200.md" @@ -0,0 +1,44 @@ +# एक छोटा बीज: वनगारी माथाई की कहानी + +## +पूरवी अफरीका में कैनया पहाड़ के एक गाँव में एक छोटी लड़की अपनी माँ के साथ खेतो में काम करती थी। उसका नाम वनगारी था। + +## +वनगारी को बाहर रहना पसंद था। अपने परिवार के खाने के आँगन में उसने मिट्टी को अपनी छूरी से जोता। उसने छोटे बीजों को गर्म मिट्टी में दबा दिया। + +## +उसका दिन का सबसे पसंदिदा समय सूर्यास्त के एकदम बाद था। जब इतना अंधेरा हो जाता कि पौंधे नही दिखते तब वनगारी जान जाती कि घर जाने का समय हो गया है। वो खेतों के संकरे रास्तों से निकल जाती और रास्ते में नदियों को पार करती। + +## +वनगारी एक होशियार बच्ची थी और विद्यालय जाने को तैयार थी। लेकिन उसके माता-पिता चाहते थे कि वो घर में रहे और उनकी मदद करे। जब वो सात वर्ष कि हो गयी, तब उसके बड़े भाई ने उनके माता-पिता को उसे विद्यालय जाने के लिये मना लिया। + +## +उसे सीखना पसंद था! वनगारी हर किताब पढ़ने से और ज़्यादा सीख जाती। उसने विद्यालय में इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि उसे पढ़ने के लिये अमेरिका से निमँत्रण मिला। वनगारी उत्साहित थी! वो दुनिया के बारे में जानना चाहती थी। + +## +अमरीकी विश्विदयालय में वनगारी ने बहुत सी नयी चिज़े सिखी। उसने पौंधों के बारे में पढ़ाई करी कि वो कैसे बढ़ते है। और उसे याद आया कि वो कैसे बढ़ी: खेल खेलती अपने भाईयों के साथ पेड़ों की छायाँ में केनया के सुन्दर जंगलों में। + +## +जितना ज़्यादा वो सिखती उतना ज़्यादा उसे एहसास होता कि वो केनया के लोगों से कितना प्रेम करती है। वो चाहती थी कि वे सुखी और आज़ाद हो। जितना ज़्यादा वो सिखती उतना ज़्यादा उसे अपना अफ़रिकी घर याद आता। + +## +जब उसने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली, वो केनया वापस आ गयी। लेकिन उसका देश बदल गया था। ज़मीन पर बड़े-बड़े खेत फैल चुके थे। औरतों के पास चूल्हा जलाने के लिये लकड़ी नही थी। लोग गरीब थे और बच्चे भूखे थे। + +## +वनगारी जानती थी कि उसे क्या करना है। उसने औरतो को सिखाया कि बीज से पेड़ कैसे उगाते है।औरतो ने पेड़ बेच दिये और उन पैसो से अपने परिवार का ख्याल रखा। औरते बहुत खुश थी। वनगारी ने उनकी मदद करके उन्हे ताकतवर और शक्तीशाली होने का एहसास कराया। + +## +समय के साथ नये पेड़ बढ़कर जंगल बन गये, और नदियाँ फिर से बहने लगी। वनगारी का संदेश सारे अफरिका में फैल गया। आज करोड़ो पेड़ वनगारी के बीजो से बढ़े हुए है। + +## +वनगारी ने बहुत मेहनत करी। दुनियाँ भर के लोगो ने ध्यान गिया और उसे एक प्रसिद्ध पुरूस्कार दिया। उसे नोबेल शांति पुरस्कार कहा जाता है, और वो पहली अफरिकन औरत है जिसने ये पुरस्कार प्राप्त किया है। + +## +२०११ में वनगारी की म्रत्यु हो गयी, लेकिन जब भी हम एक सुन्दर पेड़़ देखते है, हम उसे याद कर सकते है। + +## +* License: [CC-BY] +* Text: Nicola Rijsdijk +* Illustration: Maya Marshak +* Translation: Tanvi Sirari +* Language: hi